Diaries

The Great Migrant Crisis during lockdown

The glass half full: Welcome to the ‘NEW’ new

By Anupriya Singh in Mumbai यूं ही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से ये नए … Read More

लॉकडाउन के वक़्त सुनसान पड़ी गुड़गांव और गाज़ियाबाद की सड़कें।

गुड़गांव से गाज़ियाबाद की यात्रा: जीवन का एक ही मूल मंत्र – मानव और प्रकृति में सामंजस्य

रेखा सिंह , नई दिल्ली 4 मार्च को आखिरी बार मैं घर से बाहर निकली थी। उसके बाद तो कॅरोना का कहर ऐसे वेग से आया कि न केवल मेरा बल्कि सभी का जीवन जैसे थम सा गया। कॉलोनी में … Read More

An ode to my mother - A Teachers' Day tribute

An ode to my mother – A Teachers’ Day tribute

By Sakshi Upadhyay माँ सिर्फ एक शब्द नहीं है, एक अनुभूति है , एहसास है निराशा के पलों में मन का विश्वास है जैसे बारिश के बाद हवा में किसी ने घोली मिठास है। कभी सोचा है तुमने अपनी माँ … Read More

I Am Bold

I Am Bold

By Pragya Bajpai   I’m gonna get myself a bikini  This time a two-piece or whatever With it, I’ll even try a cool martini At a beach or pool or wherever I’m fierce, I’m bold and not so old So … Read More

Don't let the child in you die

नासमझ बचपन ना भूल जाना

By Varsha Singh   कभी समझकर ये नासमझ बचपन ना भूल जाना, नन्हे नन्हे कदमो का हमारी ज़िन्दगी में आना, फूल सी मुस्कान से हमारी बगिया महकाना, सरपट सरपट इधर उधर भागना, सावन की पहली बारिश में सोंधी मिट्टी सा … Read More