By Sandeep Rajput
जब संघर्ष के पथ पर चलना है, तब कंकड़ से कैसा डरना
मौत तो आएगी इक दिन, क्यूँ उससे है डर के मरना
जब चोट लगी हो दिल पर तो, झरनों से आँखें क्यूँ भरना
जो लोग कहें कुछ बात है तुझमें, कुछ काम तो तुम ऐसा करना
लाख मुश्किलें आएंगी , तुम उनसे मत घबरा जाना
अपनों की दुआऐं है साथ तेरे, तुम को है मंजिल तक जाना
ग़ैरों की परवाह करता क्यूँ, क्यूँ उसकी फ़िकर तू करता है
वो ख़ुद से चल कर आएगा, जिसको भी है तुझ तक आना
जब संघर्ष के पथ पर चलना है, तब कंकड़ से कैसा डरना
मौत तो आएगी इक दिन, क्यूँ उससे डर के है मरना।
The author is a Mumbai-based software engineer.