Meri Aatmakatha, Meri Aatmhatya

By Kumar Saurav

हर वो इंसान जो आपको मज़बूत दिखता है, हर वो ज़हन जो आपको बेपरवाह लगता है, हर वो हँसी जिसके पीछे का ग़म आप पढ़ ना पाए हो, और वो इंसान जो है तो कमज़ोर पर आपको चट्टान सा मज़बूत दिखता है, ऐसे हर एक इंसान को आपकी ज़रूरत है और वो ज़रूरत, इस कविता में बयाँ कर रहे हैं मैं और मेरे कई दोस्त। अगर आपका मन इस कविता को सुनने के बाद भारी हो जाए तो हमें बताइएगा ज़रूर। इंतज़ार रहेगा।

The writer is a poet, dad, tolerant, nonconformist, highly opinionated, and a former journalist.

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